Top latest Five sidh kunjika Urban news
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः
"From the House which assumed creates around itself there isn't a love. This Area divides gentleman from guy, As well as in it can be all the turning out to be, the struggle of lifestyle, the agony and dread. Meditation will be the ending of this Place, the ending from the me. Then relationship has very a different indicating, for in that Area which isn't made by imagined, the other won't exist, for you do not exist. Meditation then is not the pursuit of some eyesight, even so sanctified by custom. Fairly it's the endless Area wherever thought are not able to enter. To us, the tiny space created by thought all over alone, which can be the me, is extremely critical, for this is every one of the intellect knows, figuring out by itself with anything that is in that space.
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥ ४ ॥
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति ।
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
ऐं-कारी सृष्टि-रूपायै, ह्रींकारी प्रतिपालिका।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
अगर किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र कर रहे हैं तो हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर जितने पाठ एक दिन में कर सकते हैं उसका संकल्प लें.
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
मनचाहा फल पाने के लिए ये पाठ कर रहे हैं तो ब्रह्मचर्य का पालन करें. देवी की पूजा में पवित्रता बहुत मायने रखती है.
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
इसके प्रभाव से जातक उच्चाटन, वशीकरण, मारण, मोहन, स्तम्भन जैसी सिद्धि more info पाने में सफल होता है.